कैसे भारतीय रुपया बन रहा है ग्लोबल करेंसी|भारतीय रुपए में होगा व्यापार|चीन भी कर चुका है असफल प्रयास|रुपए को ताकतवर बनाने की कोशिश|30-35 देश रुपए में व्यापार करने को है तैयार

कैसे भारतीय रुपया बन रहा है ग्लोबल करेंसी

भारत सरकार के एक कड़े और बहुत ही सराहनीय फैसले से भारतीय रुपया आज ग्लोबल करेंसी बन रहा है। कड़े इसलिए क्योंकि यह दूसरे देशों के लिए शुभ संकेत नहीं है और सराहनीय भारतीय परिपेक्ष में है। भारतीय रिजर्व बैंक ने इस साल 2022 जुलाई में बैंकों को आयात निर्यात के सौदे रुपए में करने के लिए जरूरी इंतजाम करने के लिए निर्देश दिए थे। DGFT ने एक अधिसूचना में कहां है कि आरबीआई ने 11 जुलाई 2022 के निर्देश के मुताबिक पैराग्राफ 2.52 (डी) को अधिसूचित किया गया है। वाणिज्य मंत्रालय ने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय व्यापार को रुपए में करने के लिए विदेश व्यापार नीति में बदलाव किया था। इन बदलावों के असर से सभी तरह के पेमेंट , बिलिंग और आयात-निर्यात या लेन-देन का निपटारा रुपए में हो सकता है। इस बारे में Directorate of Foreign Trade (DGFT) एक नोटिस जारी किया है। सरकार के द्वारा लिए गए यह कदम बहुत ही जल्द रुपए की वैल्यू को बढ़ा देंगे और अंतरराष्ट्रीय बाजार में रुपए की ताकत बढ़ेगी।

अब तक व्यापार कैसे होते थे?

उदाहरण के द्वारा हम इसे समझने का प्रयास करते हैं –

कोई भारतीय खरीदार जर्मनी के किसी भी विक्रेता के साथ लेन-देन करता है तो भारतीय खरीदार को पहले अपने रुपए को अमेरिकी डालर में बदलना होगा तो फिर उस डॉलर को जर्मनी के विक्रेता को देना होता था। विक्रेता को $ प्राप्त होने के बाद वह विक्रेता उस डॉलर को अपने देश की करेंसी जैसे जर्मनी की करेंसी यूरो है उसे यूरो में चेंज करेगा। डॉलर में व्यापार करने से काफी घाटा का सामना करना पड़ता था जैसे कि यदि डॉलर रुपए की सापेक्ष बढ़ा तो हमारा व्यापार घाटे में हो जाता था। क्योंकि हमारे सामान की वैल्यू घट जाती थी। इसी घाटे को कम करने के लिए भारत सरकार के द्वारा यह बहुत बड़ा कदम उठाया गया है। अब बात या आती है कि कोई हमारी देश की मुद्रा को लेगा ही क्यों वह इन मुद्राओं से क्या करेगा। 

कोई देश रुपए में व्यापार क्यों करेगा 

इस प्रश्न का जवाब बेहद संवेदनशील है क्योंकि भारत सरकार ने यह सोच कर इस कदम को लिया है क्योंकि भारत सबसे बड़ा बाजार है और इसी बात को भारत सरकार ने भाग लिया है कि यदि किसी भी देश को भारत में सामान बेचना है तो वह केवल भारतीय रुपया में ही उसका मूल्य चुका सकेगा यदि उन्हें अपना सामान देना है तो भारतीय रुपए को स्वीकार करना पड़ेगा अन्यथा उनके लिए कोई रास्ता नहीं है। एक बहुत बड़ा फैसला है जो भारत सरकार ने लिया है।

अन्य देशों ने जब भारत सरकार से यह कहा कि हम आपके रुपए को लेकर क्या करेंगे तो भारत सरकार ने उन्हें आश्वस्त कराया कि अन्य छोटे छोटे देश जिनसे आप व्यापार करना चाहते हैं वह आप से रुपए में व्यापार को स्वीकार करेंगे। क्योंकि भारत सरकार उन सभी छोटे बड़े देशों के साथ रुपए में व्यापार करने पर चर्चा कर रही है इस तरह की लगभग 35 देश है जो भारतीय रुपए में व्यापार करने के लिए तैयार है । चलिए हम इसे उदाहरण के माध्यम से आप को समझाते हैं।

मान लीजिए कि चार देश भारत, रूस, बांग्लादेश और श्रीलंका और यह आपस में व्यापार करना है वह भी भारतीय रुपए में तो कैसे संभव हो पाएगा- यदि भारत रूस से तेल का आयात करता है तो यह व्यापार रुपए में होगा और यदि रूस को बांग्लादेश , श्रीलंका या अन्य किसी देश के साथ व्यापार करना है तो वह रुपए को देकर इन सभी देशों से व्यापार कर सकेगा। वह देश रुपए को लेने से इनकार नौकरिया भारत सरकार की जिम्मेदारी है कि वह उसे रुपए में व्यापार करने के लिए तैयार करें। बांग्लादेश श्रीलंका भी रूस के साथ उस रुपए के द्वारा व्यापार कर सकेंगे।

देशों का व्यापार fund कैसे लेनदेन होते हैं? 

मान लीजिए  रूस और भारत को एक दूसरे से व्यापार करना है वह पैसे कैसे दिए जाते हैं सबसे पहले यदि रूस को भारत से व्यापार करना है तो भारत के किसी बैंक में जो वोस्ट्रो अकाउंट के लिए एलिजिबल हो उसमें उस देश का एक-एक अकाउंट खोला जाता है (अभी तक आरबीआई ने कुल 12 बैंकों को वोस्ट्रो अकाउंट खोलने का अनुमति प्रदान की है) और भारतीय क्रेता रूस के उस विक्रेता के वोस्ट्रो अकाउंट में भारतीय रुपए को ट्रांसफर कर देगा। फिर वह देश अन्य किसी देश से व्यापार के लिए उस रुपए को वहां पर ट्रांसफर कर सकेगा।

तजाकिस्तान ,क्यूबा ,लक्जमबर्ग ,बेलारूस, श्रीलंका, बांग्लादेश , सऊदी अरब, सूडान सहित अन्य देशों का हाल ही में भारत रुपए में व्यापार करने की ओर रुझान बहुत उत्साहजनक रहा है इन देशों की बढ़ती भागीदारी अंतरराष्ट्रीय विदेशी मुद्रा बाजार में मुद्रा के रूप में रुपए की पकड़ को मजबूत करती है। पिछले कुछ वर्षों में लेकिन विशेष रूप से पिछले कुछ महीनों में एक मजबूत डॉलर ने दुनियाभर के अधिकांश देशों के लिए आयात को महंगा बना दिया है जिससे एक विकल्प की स्पष्ट आवश्यकता पैदा हुई है वर्मा ने कहा कि अमेरिकी डालर से दूर भारतीय रुपए पर निर्भरता का मतलब इन देशों के लिए महत्वपूर्ण राहत हो सकता है।

दस्तावेजों से पता चलता है कि 4 देशों में भी 30 खाता खोलने में रुचि दिखाई है जिसे बॉस्ट्रो खाते कहा जाता है। जिसमें रूस का पहला स्थान है क्योंकि रूस पर यह जो यूरोपियन देशों में अनेकों प्रकार के प्रतिबंध लगाए हैं और रूस इंडियन रुपए में व्यापार कर रहा है।

फिलहाल डॉलर में होता है 40% ग्लोबल व्यापार

ऐसी उम्मीद है कि रुपया को अंतरराष्ट्रीय करेंसी के तौर पर स्थापित करने की तरफ अगला कदम भी सरकार बहुत जल्द लेगी क्योंकि सरकार को अन्य सभी देशों को तैयार करना होगा कि वह भी भारतीय रुपए को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के रूप में स्वीकार करें और उसी के माध्यम से अपना व्यापार करें। इससे फायदा यह हुआ कि डॉलर के मूल्य में वृद्धि होने पर किसी भी देश को घाटे का सामना नहीं करना पड़ेगा। जैसा कि हाल ही में श्रीलंका में डॉलर का रिजर्व लगभग खत्म ही हो गया था उसके पास समान रहते हुए भी वह व्यापार नहीं कर पा रहा था क्योंकि दूसरा कोई विकल्प न होने के कारण पर अब भारतीय रुपया विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है। इससे डॉलर की मांग में कमी आएगी और रुपए को मजबूती मिलेगी।

चीन भी कर चुका है असफल प्रयास

चीन ने भी युवान के अंतरराष्ट्रीय करण की कोशिश की थी लेकिन सफल नहीं हो सका चीन की असफलता में भारत को घबराने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि चीन अपनी करेंसी के मूल्य को घटाने बढ़ाने के लिए कृत्रिम तरीके अपनाता है ऐसे में युवाओं के अंतरराष्ट्रीय करण का प्रयास असफल हो चुका है भारत के साथ रुपए में कारोबार करने के लिए 35 देश आगे आ चुके हैं जिनमें से ब्राजील मेक्सिको श्रीलंका बांग्लादेश रूस बेलारूस सऊदी अरब तजाकिस्तान और क्यूबा हैं। जिससे भारत की मुद्रा को एक मजबूत साथ मिल रहा है।

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