सरकार 22000 शिक्षकों की नौकरी बचाने को करेगी अपील|शिक्षा विभाग ने सर्वोच्च न्यायालय जाने को लेकर दी सहमति
यदि आप शिक्षा जगत से जुड़े होंगे तो यह न्यूज़ जरूर जानते होंगे कि बीएड अभ्यर्थियों को अब प्राथमिक शिक्षक भर्ती के लिए अयोग्य मान लिया गया है। यह विवाद लंबे समय तक चला रहा आखिरकार इसका फैसला 11 अगस्त को माननीय सुप्रीम कोर्ट के द्वारा सुनाया गया जिसमें बीएड वालों को प्राथमिक शिक्षक भर्ती के लिए अयोग्य मान लिया गया है। तभी से यह कवायत शुरू हो गई है कि जो बीएड डिग्री धारक प्राथमिक शिक्षक भर्ती में चयनित हो चुके हैं उनके लिए क्या प्रावधान होंगे क्या उन्हें नौकरी से बर्खास्त किया जाएगा या फिर उनके लिए कोई रास्ता निकाला जाएगा।
इसी मामले में पटना हाई कोर्ट द्वारा राज्य के प्रारंभिक विद्यालयों में पहले से पांचवी कक्षा के शिक्षक पद पर अयोग्य करार दिए गए तकरीबन 22000 बीएड योग्यता धारी नियोजित अध्यापकों के लिए राहत देने वाली है। शिक्षकों के पक्ष में बिहार सरकार पूरे मामले को लेकर जल्द ही सर्वोच्च न्यायालय में अपील में जाएगी। शिक्षा विभाग ने उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए न्यायाधीश पर विधि विशेषज्ञों से गहन विमर्श किया। इसके बाद विभाग द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में शिक्षकों के मामले को ले जाने पर सैद्धांतिक सहमति दी गई है। बता दे की पटना उच्च न्यायालय के इस आदेश से संबंधित नियोजित शिक्षकों में नौकरी को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है।
पटना:6 दिसंबर हाई कोर्ट आदेश
सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में पटना उच्च न्यायालय ने 6 दिसंबर 2023 को पहले से पांचवी कक्षा के शिक्षक पद पर कार्यरत बेड योग्यता आधारित शिक्षकों को अयोग्य करार दिया था। अपने आदेश में उच्च न्यायालय ने स्पष्ट कहा था कि राज्य में प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा एक से पांच तक में बेड योग्यता धारी शिक्षक के रूप में नियुक्त करने के योग्य नहीं होंगे। इन विद्यालयों में बीएड डिग्री वाले उम्मीदवारों को शिक्षक के रूप में नियुक्त पर विचार नहीं किया जा सकता है। नियुक्त शिक्षकों के मामले में एनसीटीई (नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन) के वर्ष 2010 की मूल अधिसूचना के अनुसार योग्य उम्मीदवार की नियुक्ति बरकरार रह सकती है और की गई नियुक्ति के मामले में फिर से काम करना होगा। तब पटना उच्च न्यायालय को बताया गया था कि 28 जून 2018 को एनसीटीई द्वारा जारी अधिसूचना को चुनौती दी गई है। जिसमें प्राथमिक कक्षाओं में बीएड डिग्री धारक अध्यापकों को योग्य माना गया। हालांकि इसी अधिसूचना को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देवेश शर्मा बनाम केंद्र सरकार एवं अन्य के मामले में दी गई थी। सर्वोच्च न्यायालय ने इस अधिसूचना को रद्द कर दिया था। एनसीटीई ने अपनी अधिसूचना में बेड योग्यता धारी शिक्षकों को प्राथमिक कक्षाओं में नियुक्ति को योग्य बताया था और उन्हें प्राथमिक शिक्षा में दो वर्ष के अंदर 6 मा का एक ब्रिज कोर्स से संबंधित शिक्षकों को विशेष ट्रेडिंग दिलाने का भी प्रावधान किया था। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने उसे भी वैध नहीं माना था। सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि प्राथमिक विद्यालयों में पहले से पांचवी कक्षा में पढ़ने वाले डीएलएड (डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजुकेशन) डिग्री धारी शिक्षकों को नियुक्त किया जाएगा। यह 2 वर्षीय डिप्लोमा कोर्स है इनमें नामांकन के लिए अभ्यर्थी को विज्ञान कला एवं वाणिज्य से 12वीं पास होना आवश्यक है फिलहाल बिहार सरकार ने पटना उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश के मामले में सर्वोच्च न्यायालय में अपील में जाने का निर्णय लिया है।