प्राथमिक भर्ती में मौका पाने के लिए अडे़ B.Ed विद्यार्थी

प्राथमिक भर्ती में मौका पाने के लिए अडे़ B.Ed विद्यार्थी | B.Ed vs BTC विवाद | B.Ed विद्यार्थियों का धरना प्रदर्शन |

प्राथमिक भर्ती में मौका पाने के लिए अडे़ B.Ed विद्यार्थी

प्राथमिक स्कूलों की शिक्षक भर्ती से B.Ed के बाहर होने पर संयुक्त बीएड मोर्चा की ओर से शिक्षक दिवस (2023) पर बालसन चौराहे (प्रयागराज) पर महापंचायत का आयोजन किया गया। B.Ed डिग्री धारी ने राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन एसीपी सत्येंद्र त्रिपाठी को सोपा और उनकी समस्या पर सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए अवसर देने का अनुरोध किया। महापंचायत में आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर भी पहुंचे और समर्थन दिया। मोर्चो के पंकज कुमार पांडे, अमित यादव, पुष्पेंद्र सिंह, अनुज सिंह, देवेंद्र, सत्यम पाठक, योगेंद्र कुशल, हरिओम व राहुल  इन सभी विद्यार्थियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से B.Ed अभ्यर्थियों के भविष्य पर संकट है प्राइमरी की शिक्षक भर्ती से B.Ed अयोग्य होने पर लाखों छात्र हताश वह परेशान है लिहाजा सरकार को चाहिए कि कानून पास कर B.Ed को प्राथमिक स्कूल की भर्ती में मान्य किया जाए।

 

B.Ed छात्रों की मांग क्या है?

जब से बीटीसी वह बीएड मामले का फैसला सुप्रीम कोर्ट के द्वारा किया गया है तभी से यह विवाद और बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है। इस फैसले से बीएड धारकों को प्राइमरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। जिसके कारण प्रदेश में लगभग 3 लाख ऐसे छात्र हैं जो सब्जेक्ट कांबिनेशन ना होने की वजह से बीएड डिग्री का कोई मायने नहीं रह जाता हैं। और इसी क्रम में जिन लोगों ने बीटेक के बाद b.ed की डिग्री धारण की है यह सोचते हुए कि वह प्राथमिक में टीचर बनने योग्य हो गए हैं उनकी भी परेशानी काफी बढ़ गई है इस तरह के बच्चों की संख्या लगभग चार या पांच लाख से अधिक है।

छात्र लगातार धरना में यह आवाज उठा रहे हैं कि सरकार के द्वारा अध्यादेश लाकर B.Ed को प्राइमरी में शामिल किया जाए। कम से कम उन विद्यार्थियों को शामिल किया जाए जो 2018 से 2023 के बीच में पास आउट हुए हैं। क्योंकि सरकार के किए गए फैसले का भोगी B.Ed  अभ्यर्थी क्यों बने। इसमें उन B.Ed धारकों का क्या दोष जो ncte के निर्देश को देखते हुए B.Ed डिग्री हासिल किया।

विद्यार्थियों को यह लगातार कहा जा रहा है कि वह अपार कक्षाओं के योग्य हैं लेकिन 6 से 8 तक के विद्यालयों में बीटीसी वाले ही प्रमोट कर दिए जाते हैं जिसकी वजह से उनके लिए टीचर की भर्ती बहुत कम संख्या में निकल जाती है। अब बीएड वालों के पास केवल टीजीटी का ऑप्शन बचता है जो की 5 से 6 साल में कभी कभी निकलता है वह भी लिमिटेड सीटों के रूप में।

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