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पुलिस कर्मियों को जबरन रिटायरमेंट देने की तैयारी!
पुलिस कर्मियों को जबरन रिटायरमेंट देने की तैयारी!||पुलिस कर्मियों की स्क्रीनिंग कैसे होती है? पढ़िए पूरा न्यूज़ आधा अधूरा ज्ञान हानिकारक होता है।
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने एक बहुत बड़ा फैसला लिया है। यह फैसला पुलिस कर्मियों से संबंधित है। चलिए इस फैसले के बारे में आपको बताते हैं। आपको बता दे की पुलिस कर्मियों की रिटायरमेंट की अवधि 60 वर्ष के बाद होती है लेकिन उत्तर प्रदेश में यह घटकर अब———-
उत्तर प्रदेश पुलिस ने 50 वर्ष की आयु पूरी कर चुके पुलिसकर्मियों की स्क्रीनिंग कर उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। पुलिस विभाग ने नाकारा अधिकारियों और कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाने की तैयारी कर ली है। पुलिस महानिदेशक मुख्यालय ने सभी शाखाओं से 30 मार्च 2030 को 50 वर्ष की आयु पूरी कर चुके पुलिस कर्मियों के सेवा अभिलेखों की जांच कर उनके बारे में 30 नवंबर तक रिपोर्ट उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। यह पहली बार नहीं हो रहा है। इससे पहले भी स्क्रीनिंग के उपरांत लापरवाह और अकर्मण्य पुलिस कर्मियों को अनिवार्य सेवा निवृत देकर सेवा से बाहर किया जा चुका है। इसके साथ ही अब जल्द ही एक बार फिर नाकारा पुलिसकर्मियों की विरुद्ध कार्रवाई की तैयारी है। इस संबंध में अपर पुलिस महानिदेशक स्थापना संजय सिंघल की तरफ से सभी पुलिस महानिरीक्षक अपर पुलिस महानिदेशक और सभी सात पुलिस कमिश्नर के साथ पुलिस की सभी विभागों को आदेश भेजा गया है कि 30 नवंबर तक सभी अधिकारी 50 वर्ष से अधिक उम्र के पुलिसकर्मियों के ट्रैक रिकार्ड को देखने के बाद अनिवार्य सेवानिवृत्ति के पत्र पुलिस कर्मियों की सूची मुख्यालय भेजेंगे। इसके अलावा पीएससी में ऐसे पुलिसकर्मियों की लिस्ट 20 नवंबर तक भेजने के आदेश दिए गए हैं।
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पुलिस कर्मियों की स्क्रीनिंग कैसे होती है?
50 साल से अधिक उम्र की पुलिसकर्मियों के ट्रैक रिकार्ड को देखने के बाद निश्चित तारीख तक सभी पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए जाने वाले पुलिसकर्मियों की लिस्ट मुख्यालय भेजेंगे इस रिपोर्ट में अगर कोई पुलिसकर्मी भ्रष्ट या बैड वर्क एंड कंडक्ट का पाया जाता है तो उसे रिटायर किया जाएगा। पुलिसकर्मियों की स्क्रीनिंग में उनकी एसीआर (ACR) अर्थात Annual Confidential Report देखी जाती है। इसमें उनके काम का मूल्यांकन, कार्य क्षमता, योग्यता, चरित्र और व्यवहार की जानकारी होती है जिसके आधार पर फैसला लिया जाता है।
योगी सरकार ने प्रदेश में कानून व्यवस्था को सुधारने के उद्देश्य से पिछले कई वर्षों में सैकड़ो पुलिस कर्मियों को जबरन सेवानिवृत्ति देने का फैसला किया है। कुछ दिन पहले सीएम योगी ने कहा भी था कि जिन ऑफिसर या कर्मचारी में फैसले लेने की क्षमता नहीं है उन्हें हटाते हुए तेज तर्रार अफसर को जिम्मेदारी दी जाएगी जिसकी वजह से काम में तेजी आएगी और निर्णय लेने में देरी नहीं होगी।
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